Tuesday, November 19, 2024
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तलाक (Divorce): कैसे पति-पत्‍नी में होता है संपत्ति का बंटवारा, जानिए यहां पर

तलाक की प्रक्रिया मूल रूप से तलाक की याचिका दायर करने के साथ शुरू होती है। भारत में तलाक की पूरी प्रक्रिया तब शुरू होती है जब उक्त याचिका में से किसी एक पक्ष द्वारा तलाक की मांग की जाती है और फिर उसकी स्वीकृति के लिए दूसरे पक्ष को सेवा दी जाती है।

तलाक (Divorce) शब्‍द पढ़ने-बोलने और सुनने में भले ही न अच्‍छा लगता हो पर आज के फास्‍ट फॉरवर्ड लाइफ में यह एक बहुत ही आम शब्‍द बन गया है। बड़े-बड़े अमीर लोगों खासकर सेलिब्रिटी के बीच तो तलाक लेना तो जैसे फैशन हो गया है। तो वहीं आजकल आम लोग Divorce का सहारा ले रहे हैं। तो आइए आज आपको तलाक के दौरान होने वाली संपत्ति के बंटवारे के बारे में बताएंगे।

आपको बता दें कि जो भी दंपत्ति तलाक लेना चाहते हैं उन्‍हें कानूनी प्रक्रिया पूरी कर लेने के बाद अलग होने का अधिकार मिल जाता है। यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद महिला को कानूनी रुप से गुजारा भत्‍ता मिलेगा और उसे संपत्ति का हिस्‍सा भी मिलता है।

Divorce Process: तलाक की पूरी प्रक्रिया यहाँ पर आपको स्टेप बाइ स्टेप बताएंगे

तलाक की प्रक्रिया (Divorce Procedure)

कानून में, एक तलाक की प्रक्रिया मूल रूप से तलाक की याचिका दायर करने के साथ शुरू होती है। भारत में तलाक की पूरी प्रक्रिया तब शुरू होती है जब उक्त याचिका में से किसी एक पक्ष द्वारा तलाक की मांग की जाती है और फिर उसकी स्वीकृति के लिए दूसरे पक्ष को सेवा दी जाती है।

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तलाक के प्रकार (Categories Of Divorce)

भारतीय तलाक प्रक्रिया को मुख्‍य तौर पर दो अलग-अलग श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है:

  • आपसी सहमति से तलाक (Divorce By Mutual Consent)
  • कंटेस्‍टेड तलाक (Contested Divorce)

भारत में तलाक कानून (Divorce Law In India)

हमारा देश, विवाह और विवाह विच्छेद ज्यादातर व्यक्तिगत मामलों के अंतर्गत आते हैं और विवाह और तलाक से संबंधित कानूनों को ज्यादातर विभिन्न धर्मों के रीति-रिवाजों और अधिकारों के आधार पर तैयार किया गया है। इसलिए, विशिष्ट धर्म से संबंधित लोगों खातिर तलाक की प्रक्रिया के लिए विशिष्ट कानून हैं।

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  • हिंदू, बौद्ध, सिख और जैन हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 द्वारा शासित हैं।
  • मुस्लिम विघटन अधिनियम, 1939 के द्वारा तलाक की प्रक्रिया होती है।
  • पारसी विवाह और तलाक अधिनियम, 1936 द्वारा शासित हैं।
  • ईसाई भारतीय तलाक अधिनियम, 1869 द्वारा शासित हैं।
  • विशेष विवाह अधिनियम, 1956 सभी अंतर-समुदाय और नागरिक विवाह को नियंत्रित करने के लिए जाना जाता है।

तलाक के लिए जरुरी दस्‍तावेज (Important Documents For Divorce)

  1. आयकर विवरण
  2. मैरिज सर्टिफिकेट
  3. जीवनसाथी का विवरण प्रमाण
  4. उनके व्‍यवसायों का विवरण
  5. संपत्ति का स्‍वामित्‍व

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यहां पर आपको तलाक लेने से लेकर संपत्ति के बंटवारे के बारे में स्‍टेप वाय स्‍टेप जानकारी देंगे:

  • आपको बता दें कि हिंदु मैरिज एक्ट के अनुसार, जब तक तलाक की प्रक्रिया पूरी नहीं होती, पति द्वारा पत्नी को गुजारा भत्ता देना होगा।
  • तो वहीं तलाक की प्रक्रिया पूरी होने के बाद पति को एकमुश्त राशि देनी होगी। पत्नी चाहे तो हर महीने, तीन महीने या सालाना भी यह राशि ले सकती है।
  • इसके अलावा पत्नी के नाम से जितनी संपत्ति होगी, उस पर उसका एकल अधिकार होता है। ज्‍वेलरी भी उसी के खाने में आएगी। अगर उसे गिफ्ट में कैश मिला होगा, तो उस पर भी पत्नी का अधिकार होगा।
  • हिस्‍सेदारी की संपत्ति में उसे बराबर हिस्सा मिलेगा। महिला के पास अपने हिस्से की संपत्ति बेचने का भी अधिकार है।
  • जब तलाक के मामले में कोर्ट फैसला करती है तो पति की पूरी संपत्ति में पत्नी का हक एक तिहाई से पांचवां हिस्सा होता है। पति की मासिक सैलरी में पत्नी की गुजारे के लिए 25 प्रतिशत से अधिक भाग नहीं मिल सकता है।
  • नौकरी छूट जाने के मामले में किस्‍त में देरी हो सकती है। पति की मौत किस्‍त भी बंद हो जाएगी। पत्नी द्वारा एकमुस्त राशि पर टैक्स नहीं चुकाना होता है।
  • तो वहीं यदि दोनों की कोई संतान है तो पति और पत्नी, दोनों को ही अपनी कमाई से बच्चे के लिए अलग से पैसे देना पड़ता है।
  • पुरुष का हक है कि पत्नी के माता-पिता की तरफ से मिले उपहार पर सिर्फ पति का ही अधिकार होता है।
  • अगर पुरुष ने पत्नी के नाम पर चल या अचल संपत्ति ली है, लेकिन उसे गिफ्ट नहीं किया है तो उस पर पति का हक होगा।
  • साथ ही महिला अगर कमा रही हो तो वह घर खर्च में लगाई हुई राशि को वापस नहीं मांग सकती है।

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ट्रिपल तलाक पर सरकार का नया नियम 2019

सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए ऐतिहासिक फैसले में ट्रिपल तलाक की पौराणिक प्रथा को असंवैधानिक करार करते हुए कोर्ट ने यह कहा था कि ट्रिपल तलाक मुस्लिम महिलाओं के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है क्योंकि यह पुनर्वास की किसी भी आशा के बिना शादी को समाप्त कर देता है। ।

ट्रिपल तालाक मुस्लिम समुदाय के कुछ संप्रदायों द्वारा तलाक का मौखिक रूप है जो तुरंत तीन बार ‘तलाक’ कहकर अपनी पत्नियों को तलाक देता है। आपको बता दें कि अब भारत में मुसलमानों के बीच विवाह और तलाक के कानूनों को नियंत्रित करने के लिए नए बिल द्वारा कानून बनाने की जिम्‍मेदारी केंद्र सरकार की है।

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Pratima Patel
Pratima Patelhttps://360samachar.com/
देवी अहिल्याबाई विश्वविद्यालय, इंदौर के पत्रकारिता विभाग से MA करने के बाद से दैनिक भास्कर, Zee रायपुर, बंसल आदि चैनलों से इंटर्नशिप करने के बाद मैंने स्थाई तौर पर पत्रिका न्यूज पेपर से 2013 में रिपोर्टर के रूप में अपना वास्तविक कैरियर शुरू किया। यहाँ पर 3 साल काम करने के बाद मैंने बेंगलोर में 2017 से 2020 तक 3 साल Greynium Information Technologies Pvt Ltd [Hindi Oneindia (Hindi Goodreturns)] में बतौर Sub-Editor काम किया। 2019 से मै लगातार इस वेबसाईट के लिए लिख रही हूँ।
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