हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने चंद्रयान-2 मिशन के तहत लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग कराने में असफल रहा। इसके वजूद इसरो ने चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर को सक्सेस्फुली चन्द्रमा की कच्छा में स्थापित किया। चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने सूरज से निकलने वाली सौर किरणों का अध्ययन कर डाटा इसरो को भेजा। ये अकड़े 30 सितंबर से एक अक्टूबर के बीच के जुटाए गए थे।
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आप को बता दे की , सूरज हर ग्यारहवे साल पर अपने तापमान का चक्र बदलता है। यानी हर ग्यारहवे साल के अंतर पर सूरज की गर्मी कम या ज्यादा होती है।
जब सूरज पर ज्यादा (सन स्पॉट) यानी की ज्यादा आग की लपटे निकलती दिखाई पड़ें तो उस समय जयादा गर्म होता है। इसे सोलर मैक्सिमा कहते हैं। जबकि इसके बिपरीत सूरज पर जब सन स्पॉट कम दिखें तो इसे सोलर मिनिमा कहते हैं। इसका मतलब ये हुवा की इस दौरान सूरज ठंडा है।
सोलार मैक्सिमा-सोलर मिनिमा:
जब सूरज ज्यादा गर्म होता है या यु कहे की जब सूरज में ज्यादा सन स्पॉट निकलते है तो उसे सोलर मैक्सिमा कहते है । सोलर मैक्सिमा के समय अंतरिक्ष में इलेक्ट्रो मैग्नेटिक तेज प्रवाह निकलता है। जिसे सौर तूफान (solar flares/ सोलर स्टॉर्म) कहते हैं।
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इस सौर तूफान के कारन पृथ्वी के चारों तरफ घूम रहे सेटेलाइट्स प्रभावित होते हैं, जिसकी वजह से पृथ्वी पर संचार में प्रॉब्लम आ सकती है। इतना ही नहीं GPS सिस्टम भी कभी कभी काम करना बंद कर देता है क्यों की इस सोलर स्टॉर्म से कम्युनिकेसन बनाने में दिक्कते आती है।
जब यह सौर तूफान बढ़ जाते हैं तो पृथ्वी के नार्थ और साउथ पोल पर नॉदर्न या साउदर्न लाइट्स देखने को मिलती हैं। इन्हें देखने के लिए लोग नॉर्वे, ग्रीनलैंड या आर्कटिक जैसे देशों में जाते हैं। क्योंकी वहा पर ये लाइट वेव साफ़ साफ़ तरह से देखी जा सकती है।
जब सूरज में सन स्पॉट कम होते है या यू कहे की सूरज में आग की लपटे कम दिखाई दे तो उसे सोलर मिनिमा कहते है। सोलर मिनिमा के समय सूरज थोड़ा ठंडा होता है।
अभी सूरज ठंडा है क्योकि आकड़ो के अनुसार अगला सोलर मैक्सिमा 2024 में होगा।