भारतीय संविधान (Indian Constitution) और बजट (Budget): हर साल बजट सत्र में बजट पेश किया जाता है। जिसमें की देश की आर्थिक मुद्दों को सामने लाया जाता है। साथ ही यह बताया जाता है कि आने वाले समय में वस्तुओं, उत्पादों में कितना टैक्स देना होगा और उनकी कीमत क्या होगी? एक ऐसा शब्द जिससे देश की इकोनॉमी इधर की उधर हो जाती है ऐसा शब्द अगर भारतीय संविधान में नहीं तो आप क्या सोचेंगे? तो आइए भारतीय संविधान और बजट के रिश्ते को थोड़ा विस्तार से समझते हैं।
बजट का जिक्र नहीं है भारतीय संविधान में (Budget is not mentioned in Indian constitution)
भारतीय संविधान जिसके बिना भारत में कोई नियम और कानून लागू नहीं होते हैं ऐसे संविधान में बजट का जिक्र न होना एक आश्चर्य वाली बात है। पर सचमुच में ऐसा है। भारतीय संविधान में कहीं भी बजट शब्द का जिक्र नहीं है। बल्कि संविधान के अनुच्छेद 112 में इसे वार्षिक वित्तीय विवरण नाम दिया गया है। इस विवरण में सरकार पूरे साल के लिए अपने अनुमानित खर्चों और होने वाली आय का ब्योरा देती है।
आखिर क्यों होती है बजट पेश होने से पहले अधिकारियों को कैद (Imprisoned)?
संसद की अनुमति के बिना नहीं हो सकता कोई खर्च (No expenditure can be incurred without the permission of the Parliament)
बजट में शामिल सरकार के खर्चों के अनुमान को लोकसभा अनुदान की मांग के रुप में पारित करती है। हर मंत्रालय की अनुदान की मांगों को सिलसिलेवार तरीके से लोकसभा से पारित कराया जाता है। संविधान के अनुसार सरकार संसद की अनुमति के बिना कोई खर्च नहीं कर सकती है।
Populist Budget (लोकलुभावन बजट) क्या है?
लेखानुदान की मंजूरी (approval of vote on account)
बजट पर चर्चा और इसको सदन से पारित कराने में लंबा समय लगता है और ऐसे में सरकार अगले वित्त वर्ष की शुरुआत यानी कि 1 अप्रैल से पहले पूरा बजट संसद से पारित नहीं करा पाती। इस सिथति में अगले वित्त वर्ष के शुरुआती दिनों के खर्च के लिए सरकार लेखानुदान के तहत संसद की मंजूरी लेती है। ज्यादातर लेखानुदान की मंजूरी दो महीनों के लिए ली जाती है लेकिन चुनावी साल में यह सीमा दो महीने से ज्यादा भी हो सकती है।
Indian Budget: भारतीय बजट के बारे में कुछ रोचक पूर्ण बातें
अलग से नहीं पेश होगा रेल बजट (Rail budget will not be presented separately)
इस बार रेल बजट आम बजट में ही समाहित होगा यानी कि इसे अलग से पेश नहीं किया जाएगा। कई कारणों की वजह से रेल बजट को आम बजट से अलग पेश किया जाता था। जिसकी शुरुआत 1924 में हुई थी। उस समय कुल बजट में रेलवे की हिस्सेदारी करीब 70 प्रतिशत थी, इसलिए इसे अलग से पेश किया जाता था। लेकिन अब कुल बजट में हिस्सेदारी करीब 15 प्रतिशत के करीब है। इसके चलते अब रेल बजट को अलग से पेश करने की प्रथा को बंद कर दिया गया है।
जानने वाली बात: अमेरिका का सैन्य बजट पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा है। अगर दुनिया का कुल सैन्य बजट जोड़ा जाए तो इसमें 38 फीसदी अकेले अमेरिका का है। 2021 में अमेरिकी सैन्य बजट 801 अरब डॉलर था। यह अमेरिका की जीडीपी का 3.5 फीसदी है।
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