आपका अच्छा क्रेडिट स्कोर बैंकों से लोन दिलाएगा आसानी से
रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने हाल ही में बैंक लोन को जरूरी तौर पर रीपो रेट जैसे बाहरी बेंचमार्क से लिंक करने का आदेश दिया है, जिससे क्रेडिट स्कोर का महत्व बढ़ गया है, क्योंकि अब लोन की ब्याज दर को लोन वाले के क्रेडिट स्कोर के अनुसार मिलान किया जा रहा है। 750 या उससे अधिक नंबर वाला क्रेडिट स्कोर एक अच्छे फाइनैंशल हेल्थ की तरफ इशारा करता है जबकि कम स्कोर से खराब फाइनैंशल हेल्थ का संकेत मिलता है।
आरबीआई (RBI): जनवरी 2020 से NEFT पर नहीं लगेगा कोई चार्ज.
ऐसे तय होगी ब्याज दरः आरबीआई ने इस नए सिस्टम के तहत लोन कंपनियों को बाहरी बेंचमार्क के अलावा क्रेडिट रिस्क प्रीमियम चार्ज करने का ऑप्शन दिया है जिससे उधारकर्ता का क्रेडिट स्कोर, इंट्रेस्ट रेट का निर्धारण करने में मदद करने वाला एक निर्णयकारी कारक बन गया है।
इसलिए, क्रेडिट स्कोर कम रहने पर बैंकों द्वारा अधिक रिस्क प्रीमियम और क्रेडिट स्कोर अधिक रहने पर कम रिस्क प्रीमियम लिया जा सकता है। अधिकांश बैंकों ने अब – अपने रिटेल लोन जैसे पर्सनल लोन, होम लोन, कार लोन आदिको रीपो रेट के साथ लिंक कर दिया है।
कार लोन का उदाहरण
स्कोर
- 750 से कम 8.6-9.45%
- 750 से ज्यादा 8.55-9.05%
डिफॉल्टरों पर कसेगी नकेल
इससे पहले सभी बैंक और अन्य लोन कंपनियां, लोन के लिए अप्लाइ करने वाले के क्रेडिट प्रोफाइल का मूल्यांकन करने के बाद लोन देती थीं। इससे उन उधारकर्ताओं को भी लोन मिल जाता था, जिन्होंने अतीत में अन्य लोन कंपनियों का लोन
चुकाने में डिफॉल्ट किया था।
बाद में लगातार कई सुधार कार्यों के कारण सभी अलग-अलग लोन के बारे में क्रेडिट ब्यूरो को रिपोर्ट करने के लिए क्रेडिट स्कोर वाला सिस्टम शुरू हो गया। इससे लोन डिफॉल्टरों को किसी दूसरे लोन के लिए अप्लाइ करना या उन्हें कोई दूसरा लोन मिलना कठिन हो गया।