यूज़र कीपोस्ट पर नजर रखने के लिए बोर्ड बनाएगी फेसबुक || Facebook will create board to monitor user keyposts
- नियंत्रण और विवादित पोस्ट से बचने ऐसा किया जा रहा
- प्रस्तावित बोर्ड का छह साल का बजट नौ हजार करोड़ रु.
नवंबर 1999 में वेब की एड्रेस बुक पर नजर रखने के लिए इंटरनेट कार्पोरेशन फॉर एसाइंड नेम्स एंड नंबर्स (आईसीएएनएन) ने अपना पहला सालाना सम्मेलन किया था। बीस साल बाद ऑनलाइन दुनिया के सामने एक अन्य संवैधानिक मौका आया है। इस बार इंटरनेट के विराट विस्तार से जबर्दस्त फायदा उठाने वाली कंपनी फेसबुक के माध्यम से यह स्थिति आई है। कंपनी ने 28 जनवरी को कंटेंट पर नजर रखने के लिए नियमों का मसौदा जारी किया है। विशेषज्ञों का एक ग्रुप यूजर की पोस्ट देखने वाले कंपनी स्टाफ के निर्णयों को बदल सकेगा।
इसे ओवरसाइट बोर्ड नाम दिया है। यह बोर्ड कुछ माह के अंदर काम करने लगेगा। कुछ लोगों को उम्मीद है कि यह संस्था ऑनलाइन लोकपाल या ओमबड्समैन जैसा काम करेगी। अन्य लोग इसे फेसबुक द्वारा वास्तविक नियंत्रण से बचने और विवादग्रस्त पोस्ट से पीछा छुड़ाने की कोशिश के रूप में भी देखते हैं। ध्यान रहे, फेसबुक प्राइवेसी के दुरुपयोग और गलत सूचनाएं फैलाने सहित कई बुराइयों के लिए दोषी ठहराई जा रही है।
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फेसबुक ने बोर्ड बनाने के लिए 12 लोगों की सेवाएं ली हैं। इनमें अधिकतर महिलाएं और वकील हैं। इन लोगों ने पिछले साल विश्व में 60 वर्कशॉप और सम्मेलनों में 2500 से अधिक लोगों की राय जानी है। बोर्ड का अपना 30-40 लोगों का स्टाफ होगा। फेसबुक ने छह वर्ष के लिए 9200 करोड़ रुपए का बजट रखा है। अपील के लिए बोर्ड की वेबसाइट होगी। अपनी पोस्ट हटाए जाने की शिकायत करने वाले फेसबुक और इंस्टाग्राम के यूजर इस पर लॉग इन कर सकेंगे। हर अपील पर 90 दिन में निर्णय होगा।
इमर्जेंसी अनुरोध 30 दिन में निपटाए जाएंगे। प्रस्तावित बोर्ड साल भर में कुछ दर्जन से अधिक मामलों की सुनवाई नहीं कर सकेगा। जबकि फेसबुक ने 2019 की पहली तिमाही में 34 लाख पोस्ट की बहाली से इनकार किया है। कुछ लोगों को आशंका है कि फेसबुक असुविधाजनक पोस्ट से बचने के लिए बोर्ड के पास इमर्जेंसी अनुरोधों की झड़ी लगा देगी।