Thursday, December 26, 2024
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निर्भया केस (Nirbhaya Case): सुप्रीम कोर्ट (SC) ने खारिज की दोषी की दलील, अगली सुनवाई पर हो सकती है फांसी

2012 में दिल्‍ली में हुए सामूहिक बालात्‍कार मामले को लेकर एक दोषी ने याचिका दायर की थी, जिसकी सुनवाई आज होनी थी। जिस पर आज सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपना फैसला सुनाते हुए इस याचिका को खारिज कर दिया है।

2012 में दिल्‍ली में हुए सामूहिक बालात्‍कार मामले को लेकर एक दोषी ने याचिका दायर की थी, जिसकी सुनवाई आज होनी थी। जिस पर आज सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court ) ने अपना फैसला सुनाते हुए इस याचिका को खारिज कर दिया है। आपको बता दें कि याचिका से संबंधित अगली सुनवाई 7 जनवरी 2020 में होगी। जिसके साथ यह कयास लगाया जा रहा है कि हो सकता है कि 7 जनवरी को दोषी को फांसी की सजा भी सुनाई जाए।

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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के अगले फैसले पर होगी सबकी नजरें

जी हां आपको बता दें कि दिल्ली में 2012 में हुए निर्भया रेप केस के 4 दोषियों में से एक अक्षय की रिव्यू पिटीशन पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट के द्वारा अक्षय द्वारा याचिका को खारिज कर दिया गया है। यानी कि अब पटियाला हाउस कोर्ट पर सभी की नज़रें हैं, जहां से दोषियों का डेथवारंट जारी किया जाना है।

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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने क्‍या कहा अपने फैसले में

बता दें कि बुधवार को अपना निर्णय सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में सभी तर्कों को सुना जा चुका है, याचिकाकर्ताओं की ओर से कोई भी ऐसी दलील नहीं दी गई जिसके आधार पर रिव्यू पिटीशन को स्वीकार किया जाए।

तो वहीं सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि कोर्ट ट्रायल कोर्ट, हाईकोर्ट के द्वारा पहले ही जांच को पूरी तरह से परखा जा चुका है। हमें इन दलीलों में कुछ नया नहीं दिख रहा है, इसी आधार पर पुनर्विचार याचिका को तुरंत खारिज कर दिया जाता है।

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साथ ही सर्वोच्च अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता की ओर से जो प्रक्रिया की जांच की मांग की है, उसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है। ट्रायल की प्रक्रिया सही हुई है, इसमें कोई भी कमी नहीं है।

दया याचिका के बारे में

आपको बता दें कि दोषियों के वकीलों ने दया याचिका फाइल करने के लिए तीन सप्ताह का समय मांगा है, लेकिन सॉलिसिटर जनरल ने कहा है कि इसके लिए सिर्फ एक हफ्ता ही दिया जाना चाहिए। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कहा कि वह इसपर कोई विचार नहीं रखेगा, इसपर दोषी को तय करना है कि वह तय समय में याचिका दायर करे।

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