Populist Budget (लोकलुभावन बजट): वित्त वर्ष 2024-2025 के केंद्रीय बजट से एक महीने पहले पॉपुलिस्ट बजट के आने की खबरें आने लगी हैं, ये पॉपुलिस्ट (लोकलुभावन) बजट क्या होता है और किसके बारे में है चलिये जानें। वैसे तो इस बजट की कोई निर्धारित परिभाषा नहीं है लेकिन यह बजट देश की बड़ी आबादी के हित के लिये होता है। तो आइए इस बजट के बारे में हम आपको थोड़ा विस्तार से बताते हैं।
पॉपुलिस्ट बजट लोगों की आम समस्या पर होता है केंद्रित
‘पॉपुलिस्ट’ एक विशेषण है जिसे बजट शब्द के आगे जोड़ा जाता है जिसके माध्यम से वह जनता के प्रति प्रतिध्वनित माना जाता है ऐसा कहा जा सकता है की लोगों की आम समस्याओं को मद्दे नजर रखते हुए सरकार द्वारा यह बजट बनाया जाता है।अक्सर इसका इस्तेमाल राजनीतिक दलों और सत्तारूढ़ राजनेताओं द्वारा उनके विरोधियों के बजट के लिए अस्वीकृति के संकेत के रूप में किया जाता है।
हर साल पहली फरवरी को भारत के वित्त मंत्री संसद में केंद्रीय बजट पेश करते हैं। उस बजट को भारत के वार्षिक वित्तीय विवरण के रूप में भी जाना जाता है, और इसमें लागू वित्तीय वर्ष के दौरान सरकार द्वारा किए जाने वाले राजस्व स्रोतों और खर्चों का विवरण होता है।
दूसरे शब्दों में, भारत का केंद्रीय बजट आगामी वित्तीय वर्ष, यानी 1 अप्रैल से 31 मार्च के बीच की अवधि के लिए सरकार के वित्त का हिसाब रखता है। यह इस अवधि के दौरान धन संग्रह और आवंटन के लिए सरकार के रोडमैप के रूप में कार्य करता है।
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लोकलुभावन बजट बन गया लोकप्रिय बजट
वित्तीय वर्ष 2017-2018 के बजट में सरकार ने निर्धारित राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को तोड़े बिना अपने खर्च मे 0.25% की वृद्धि की इसलिए वह पॉपुलिस्ट बजट की बजाए लोकप्रिय बजट रहा। वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारतीय अर्थव्यवस्था के लिये पॉपुलिस्ट बजट क्या मायने रखता है? आगे की स्लाइड में देखते हैं।
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लोकलुभावन बजट पर अनुमान
2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के पहले मोदी सरकार पॉपुलिस्ट उपायों का चुनाव करती है तो यह सरकार की बैलेंस शीट पर दबाव पैदा करेगा जो की वित्त वर्ष 2023 के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य (GDP) को तोड़ देगा। भारतीय अर्थव्यवस्था के लिये अचानक सुधार भी अच्छा साबित नहीं होगा। जैसा कि उल्लेख किया गया है, एक लोकलुभावन बजट वह है जो आम तौर पर लोगों को खुश करने के लिए होता है। ऐसा बजट आकर्षक योजनाओं पर अधिक खर्च करता है जो सरकार के राजकोषीय घाटे को बढ़ा सकता है और मुद्रास्फीति की दर को बढ़ा सकता है।
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लुभावनी चीजों पर जनता नहीं करती है विश्वास
पॉपुलिस्ट बजट आने की संभावनाओं के अलावा PMEAC के मेंबर रथिन रॉय का मानना है की आने वाला बजट पॉपुलिस्ट बजट नहीं होगा और इसके बजाए सरकार के व्यय की गुणवत्ता में सुधार लाने पर ध्यान केंद्रित किया जायेगा। आपको बता दें लोकलुभावन बजट पर एक इंटरव्यू के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा है कि जनता फ्री की चीजों यानी लुभावनी चीजों पर विश्वास नहीं करती है। इसलिए इस बार का भी बजट लोकलुभावना नहीं होगा।
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