Chandrayaan-2 Update: चंद्रयान-2 ऑर्बिटर(Orbiter) की 5 खास उपलब्धिया

Chandrayaan-2 Update: चंद्रयान-2 इसरो का एक बहुत खास मिसन था। इस मिसन में इसरो(ISRO) चन्द्रमा के साउथ पोल में सॉफ्ट लैंडिंग कराने की पूरी कोसिस में था। (Chandrayaan-2 Vikram Lander soft landing on moon surface). यदि इसरो ऐसा कर लेता तो भारत विश्व का 4था देश बन जाता, जो की चन्द्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने में सफल होता। पर दुर्भाग्यपूर्णबस ऐसा नहीं हो पाया। इसरो चन्द्रमा के साउथ पोल की सतह विक्रम लैंडर की लैंडिंग करने में असफल रहा।

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लैंडिंग के कुछ मिनट पहले ही इसरो का विक्रम लैंडर से संपर्क टूट गया। 7 सितम्बर को चंद्रयान 2 के विक्रम लैंडर का संपर्क चन्द्रमा की सतह से केवल 2.1 km की दूरी पर इसरो के बेस स्टेशन से लैंडिंग के दौरान टूट गया था। आप को बता दे की भारत भले ही चंद्रयान-2 की सॉफ्ट लैंडिंग कराने असफल रह हो पर चंद्रयान मिसन फिर भी सफल रहा क्योंकी चंद्रयान-2 मिसन (Chandrayaan-2 Mission) के तहत चंद्रयान के ऑर्बिटर को सफलता पूर्वक चन्द्रमा की कच्छा स्थापित कर दिया गया।

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जैसा की आप जानते है की चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर(Chandrayaan-2 Vikram Lander) की चन्द्रमा के सतह पर एक हार्ड(क्रैश) लैंडिंग थी पर उसके वाबजूद चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर(Chandrayaan-2 Orbiter) को उसके निर्दिष्ट स्थान (कच्छा) पर स्थापित कर दिया गया था। इसरो चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर के जरिये अपने निर्धारित विज्ञान प्रयोगों को करने में सफल रहा है। आप को बता दे की ऑर्बिटर(Orbiter) में 8 उपकरण लगे हैं, और प्रत्येक उपकरण पूरी तरह से अपना काम कर रहे है, जिसके लिए उन्हें बनाया गया था। यहां हम आप को चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर की अब तक की उपलब्धियो के बारे में बतायेगे।

इसरो ने चंद्रयान 2 के ऑर्बिटर द्वारा खींची गई चंद्रमा की पहले हाई रिज़ॉल्यूशन इमेजेज साझा की

चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर की उपलब्धिया(Chandrayaan-2 Orbiter Achievements)

  • Chnadrayaan-2 CLASS PAYLOAD

चंद्रयान-2 ऑर्बिटर जो वर्तमान में चंद्रमा के चारों ओर घूम रहा है, अपने CLASS पेलोड का उपयोग शुरू कर दिया है। यह अपने पहले मार्ग के दौरान जियोटेल के माध्यम से आवेशित कणों (charged particles ) और उनकी तीव्रता भिन्नताओं का पता लगा सकता है। इसे एक बहु-बिंदु अध्ययन(multi-point study ) के लिए बनाया गया है जो की चंद्रमा के चारों ओर उपलब्ध चुंबकीय क्षेत्र, इलेक्ट्रॉनों के घनत्वा और उसके मूवमेंट के अध्यन के लिए सहायक होगा।

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  • Chnadrayaan-2 OHRC Camara

चंद्रयान 2 के ऑर्बिटर में लगे हाई-रिज़ॉल्यूशन कैमरा (OHRC) ने 4 अक्टूबर 2019 को 100 किमी की ऊँचाई पर 4:38 IST पर चन्द्रमा की तो तस्वीरें खींची। इसने BOGUSLAWSKY ई क्रेटर और परिवेश को दिखाया जो की चंद्रमा के दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र में स्थित है।

Boulders imaged by OHRC chandrayaan2
Boulders imaged by OHRC chandrayaan2
a close up view of the lunar surface by OHRC chandrayaan2
a close up view of the lunar surface by OHRC chandrayaan2

  • Chandrayaan-2 IIRS

चंद्रयान 2 ने चद्रमा की सतह का स्पेक्ट्रोस्कोपिक अध्ययन शुरू कर दिया है। ऑर्बिटर के IIRS द्वारा चन्द्रमा के उत्तरी गोलार्ध की सतह की पहली इमेज 17 अक्टूबर 2019 को ली गई। इस इमेज में उत्तरी गोलार्ध में स्थित कुछ प्रमुख क्रेटर और चंद्र फ़ार्साइड के कवर हिस्से को दिखाया गया है।

Chandrayaan2 IIRS image
Chandrayaan2 IIRS image

  • Chandrayaan-2 DF-SAR

इसरो ने डीएफ-एसएआर मिशन की विस्तृत जानकारी को साझा किया, इसे चन्द्रमा की सतह पर प्रभाव craters की ( morphology and ejecta materials of impact craters on the lunar surface) आकृति विज्ञान और क्रेटर के बारे में अधिक विवरण तैयार करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

Chandrayaan-2 DF-SAR Image
Chandrayaan-2 DF-SAR Image
Pitiscus T
Pitiscus T

  • Chandrayaan-2 CHACE-2 Payload

चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने लगभग 100 किलोमीटर की ऊंचाई से चंद्र एक्सोस्फीयर पर आर्गन-40(Argon-40) का पता 31 अक्टूबर 2019 को लगाया है। इसरो ने घोषणा की, चंद्रयान -2 कक्षा में स्थापित CHACE-2 पेलोड ने लगभग 100 किलोमीटर की ऊंचाई से आर्गन-40 का पता लगाया है।

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