Thursday, November 21, 2024
HomeNewsराज्‍यसभा में भी पारित हुआ नागरिकता संशोधन बिल (CAB 2019)

राज्‍यसभा में भी पारित हुआ नागरिकता संशोधन बिल (CAB 2019)

लंबी बहस के बाद आखिरकार आज राज्‍यसभा में भी नागरिकता संशोधन बिल 2019 पारित कर दिया गया है। जी हां उच्‍च सदन में इस बिल के पक्ष में 117 वोट पड़े, जबकि 92 सांसदों ने इसके खिलाफ मतदान किया।

लंबी बहस के बाद आखिरकार आज राज्‍यसभा में भी नागरिकता संशोधन बिल (CAB 2019) पारित कर दिया गया है। जी हां उच्‍च सदन में इस बिल के पक्ष में 117 वोट पड़े, जबकि 92 सांसदों ने इसके खिलाफ मतदान किया। आपको बता दें कि बिल पर वोटिंग से पहले इसे सेलेक्ट कमिटी को भेजने के लिए भी मतदान हुआ, लेकिन यह प्रस्ताव गिर गया। सेलेक्ट कमिटी में भेजने के पक्ष में महज 99 वोट ही पड़े, जबकि 124 सांसदों ने इसके खिलाफ वोट दिया।

इसके अलावा संशोधन के 14 प्रस्तावों को भी सदन ने बहुमत से नामंजूर कर दिया। अब राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह बिल ऐक्ट में तब्दील हो जाएगा। जानकारी हो कि इस बिल को सोमवार रात को लोकसभा से मंजूरी मिली थी।

नागरिकता संशोधन बिल (CAB 2019) की खास बातें

नागरिकता संशोधन बिल एक विधेयक है, जो मूल रूप से 9 दिसंबर 2019 को 1955 के नागरिकता अधिनियम में संशोधन करते हुए लोकसभा में प्रस्तावित हुआ है। यदि विधेयक संसद में पारित हो जाता है, तो अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले समुदायों, जैसे कि हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, पारसी या ईसाई शरणार्थी और भारतीय नागरिकता के लिए पात्र होंगे।

एसबीआई (SBI): 31 दिसंबर से बंद हो जाएंगे बैंक के ये डेबिट कार्ड, क्‍या करें?

महत्वपूर्ण बात यह है कि यह केवल इन समुदायों के लोगों के लिए लागू है। विधेयक भारत में प्रवासियों के लिए 11 वर्ष से 6 वर्ष तक के निवास की आवश्यकता को शिथिल करता है। इस कदम को पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक शरणार्थियों की सुरक्षा के रूप में उचित ठहराया गया है।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 4 दिसंबर, 2019 को संसद के लिए विधेयक को मंजूरी दे दी और 10 दिसंबर को लोकसभा द्वारा पारित किया गया। विधेयक को बुधवार को राज्य सभा में प्रस्तुत किया जाना है। राज्‍यसभा में यह बिल पास होगा या नहीं यह बुधवार को ही पता चलेगा।

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण: निवेश में हर संभव सुधार करेगी सरकार

बीजेपी और नागरिकता संशोधन बिल का संबंध

आपको बता दें कि भारतीय जनता पार्टी ने अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को नागरिकता देने का वादा किया था। 2014 में पार्टी के चुनाव घोषणापत्र में, भाजपा ने हिंदू शरणार्थियों का स्वागत करने और उन्हें आश्रय देने का वादा किया था। विधेयक के खिलाफ विरोध का मुख्य कारण यह चिंताएं हैं कि बांग्लादेश से प्रवासियों की आमद के साथ पूर्वोत्तर भारत की जनसांख्यिकी बदल जाएगी।

वाहन चालकों को बड़ी राहत, FASTag अनिवार्यता की समय सीमा बढ़ाई गई

नागरिकता संशोधन बिल का इतिहास

बता दें कि इस विधेयक को 19 जुलाई, 2016 को लोकसभा में नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2016 के रूप में पेश किया गया था। इसे 12 अगस्त, 2016 को संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजा गया था। समिति ने 7 जनवरी, 2019 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।

2016 में, नागरिकता (संशोधन) विधेयक को नागरिकता अधिनियम, 1955 में संशोधन के लिए पेश किया गया था। इसे 19 जुलाई 2016 को लोकसभा में पेश किया गया था और 12 अगस्त 2016 को एक संयुक्त संसदीय समिति को भेजा गया था, जिसने 7 जनवरी 2019 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। यह 8 जनवरी 2019 को लोकसभा द्वारा पारित किया गया था। यह 16 वीं लोकसभा के विघटन के साथ समाप्त हो गया।

वाहनों के लिए FASTag होगा अनिवार्य: जाने कैसे खरीदें स्टेप बाई स्टेप

इसके बाद, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 4 दिसंबर 2019 को नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 को संसद में पेश करने के लिए मंजूरी दे दी। विधेयक को 9 दिसंबर 2019 को गृह मंत्री अमित शाह द्वारा लोकसभा में पेश किया गया था और 10 दिसंबर 10 को 12:11 बजे 311 सांसदों ने पक्ष में और 80 ने विधेयक के खिलाफ मतदान किया था।

नागरिकता संशोधन बिल का प्रावधान

यह विधेयक 1955 में नागरिकता अधिनियम में संशोधन करके अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों के अवैध प्रवासियों को बनाया गया था, जिन्होंने 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश किया था, जो भारतीय नागरिकता के पात्र थे। अधिनियम के तहत, प्राकृतिककरण द्वारा नागरिकता के लिए आवश्यकताओं में से एक यह है कि आवेदक को पिछले 12 महीनों के दौरान भारत में रहना चाहिए था, और पिछले 14 वर्षों में से 11 के लिए।

तो वहीं इस बिल में छह धर्मों और तीन देशों के लोगों के लिए 11 साल की आवश्यकता को पांच साल के लिए रखा गया है। यह विधेयक असम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा के आदिवासी क्षेत्रों को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किया गया है। इन आदिवासी क्षेत्रों में असम में कार्बी आंगलोंग, मेघालय में गारो हिल्स, मिजोरम में चकमा जिला और त्रिपुरा में जनजातीय क्षेत्र जिले शामिल हैं। इसने इनर लाइन परमिट के माध्यम से विनियमित क्षेत्रों को भी छूट दी जिसमें अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और नागालैंड शामिल हैं।

ईएसआईसी (ESIC): नौकरी जाने के 2 साल बाद भी मिलेगी सैलरी, जानें कैसे

अन्‍य प्रावधान

विधेयक में भारत के विदेशी नागरिकता (ओसीआई) के पंजीकरण को रद्द करने के नए प्रावधान शामिल हैं, जैसे कि धोखाधड़ी के माध्यम से पंजीकरण, ओसीआई धारक को पंजीकरण के पांच साल के भीतर दो या अधिक वर्षों के लिए कारावास की सजा और संप्रभुता के हित में आवश्यकता के मामले में। भारत की सुरक्षा। इसमें केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित किसी भी कानून के उल्लंघन पर प्रावधान भी शामिल है। यह ओसीआई धारक को रद्दीकरण से पहले सुना जाने का अवसर भी जोड़ता है।

पीएम किसान (PM Kisan): 30 नवंबर के बाद किसानों को मिलने लगेगा यह लाभ

Pratima Patel
Pratima Patelhttps://360samachar.com/
देवी अहिल्याबाई विश्वविद्यालय, इंदौर के पत्रकारिता विभाग से MA करने के बाद से दैनिक भास्कर, Zee रायपुर, बंसल आदि चैनलों से इंटर्नशिप करने के बाद मैंने स्थाई तौर पर पत्रिका न्यूज पेपर से 2013 में रिपोर्टर के रूप में अपना वास्तविक कैरियर शुरू किया। यहाँ पर 3 साल काम करने के बाद मैंने बेंगलोर में 2017 से 2020 तक 3 साल Greynium Information Technologies Pvt Ltd [Hindi Oneindia (Hindi Goodreturns)] में बतौर Sub-Editor काम किया। 2019 से मै लगातार इस वेबसाईट के लिए लिख रही हूँ।
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments