नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra): टोक्यो ओलंपिक 2020, सफलता की कहानी और जानें सब कुछ

नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra): टोक्यो ओलंपिक 2020, में भारत की तरफ से फील्ड एथलीट प्रतिस्पर्धा में 87.58 मीटर भाला फेंक कर गोल्ड लाने वाले नीरज चोपड़ा ने देश को गौरवांवित किया है। आपको बता दें कि इस बार के Olympic Games में नीरज के द्वारा पहला गोल्ड मेडल हासिल किया गया है। इसके साथ ही अंजू बॉबी जॉर्ज के बाद किसी विश्व चैंपियनशिप स्तर पर एथलेटिक्स में स्वर्ण पदक को जीतने वाले दूसरे भारतीय बन गए हैं।

नीरज चोपड़ा और टोक्यो ओलंपिक 2020 (Neeraj Chopra And Tokyo Olympic 2020)

नीरज ने 2016 आईएएफ (IAAF) अंडर 20 (U20) चैंपियनशिप में 86.48 मीटर का रिकार्ड बनाया था, तो वहीं चोपड़ा को 2018 के एशियाई खेलों में भारत के उदघाटन समारोह में ध्वजवाहक के रूप में भी चुना गया था। जिसने उनकी पहली एशियाई खेलों की उपस्थिति को चिह्नित किया था। नीरज ने 85.23 मीटर का भाला फेंककर 2017 एशियाई एथलेटिक्स चैपियनशिप में भी स्वर्ण पदक जीता था। तो वहीं ऑस्ट्रेलिया में सम्पन्न हुए 2018 राष्ट्रमण्डल खेलों में इन्होंने 86,47 मीटर भाला फेंककर स्पर्धा का स्वर्ण पदक अपने नाम किया।

साथ ही नीरज चोपड़ा ने 2020 ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में 87.58 मीटर के थ्रो के साथ स्वर्ण पदक जीता। वह ओलंपिक में व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाले केवल दो भारतीयों में से एक हैं साथ ही किसी व्यक्तिगत स्पर्धा में सबसे कम उम्र के भारतीय स्वर्ण पदक विजेता हैं।

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नीरज चोपड़ा की सफलता की कहानी (Success Story Of Neeraj Chopra)

अब तक प्रमुख टूर्नामेंट में 6 गोल्ड सहित 7 पदक जीतने वाले नीरज चोपड़ा की सफलता की कहानी आपको जरूर प्रेरित करेगी। तो चलिए शुरू से शुरू करते हैं नीरज चोपड़ा का जन्म 24 दिसंबर 1997 को हरियाणा राज्य के पानीपत नामक शहर के एक छोटे से गांव में एक किसान परिवार में हुआ था। नरेश के पिता सतीश कुमार पेशे से एक छोटे किसान हैं और उनकी माता सरोज देवी एक ग्रहणी हैं। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि भाला फेंक (Javelin Throw) में नीरज को 11 साल हमें ही रुचि पैदा हो गई थी इसके लिए वह पानीपत के स्टेडियम में जय चौधरी को प्रैक्टिस करते देखा करते थे।

नीरज को गोल्ड मेडल यूं ही नहीं मिल गया इसके लिए उन्होंने काफी त्याग किए हैं आपको बता दें उन्होंने 1 साल पहले ही मोबाइल फोन से खुद को दूर कर लिया था। वह मोबाइल को स्विच ऑफ रखते थे, जब भी अपने परिवार के लोगों से उन्हें बात करनी होती थी वह खुद ही वीडियो कॉल करते थे और उनसे बातें करते थे। सोशल मीडिया का तो उन्होंने बिल्कुल ही उपयोग नहीं किया।

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नीरज चोपड़ा का जीवन परिचय (Neeraj Chopra Biography)

आपको बता दें कि भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई हरियाणा से ही की है, जानकारी के अनुसार इन्होंने ग्रेजुएशन तक की डिग्री प्राप्त की है। अपनी प्रारंभिक पढ़ाई को पूरा करने के बाद नीरज चोपड़ा ने बीबीए कॉलेज ज्वाइन किया था और वहीं से उन्होंने ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की थी। नीरज चोपड़ा के परिवार में उनके माता-पिता के तीन चाचा हैं एक ही छत के नीचे रहने वाले 19 लोगों के परिवार में चचेरे 10 भाई बहनों में सबसे बड़े हैं और वह अपने परिवार में लाडले हैं। बचपन में नीरस बहुत ही मोटे थे इसलिए उनके परिवार वाले उन्हें वजन कम करने के लिए दौड़ने के लिए प्रेरित करते थे

नीरज के परिवार की वित्तीय हालत कुछ खास ठीक नहीं थी इसलिए उनके परिवार वाले उन्हें 1.5 लाख रुपए का भाला नहीं दिला सकते थे इसलिए कैसे भी करके उनके पिता सतीश चोपड़ा और चाचा भीम ने ₹7000 जोड़े और उन्हें अभ्यास के लिए एक भाला लाकर दिया।

Neeraj Chopra
Neeraj Chopra

नीरज चोपड़ा के कोच (Neeraj Chopra’s Coach)

नीरज चोपड़ा के कोच का नाम उवे होन (Uwe Hohn) है जो कि जर्मनी देश के पेशेवर पेशेवर भाला फेंक रह चुके हैं इनसे ट्रेनिंग लेने के बाद ही नीरज चोपड़ा इतना अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। एक समय ऐसा भी आया जब नीरज के पास कोई कोच नहीं था, मगर नीरज ने हार नहीं मानी और यूट्यूब चैनल से एक्सपर्ट की टिप्स पर अमल करते हुए प्रैक्टिस के लिए मैदान में पहुंच जाते थे। वीडियो देखकर अपनी कई कमियों को दूर किया इसे खेल के प्रति उनका जज्बा कहें या जहां से भी सीखने का मौका मिला उन्होंने तुरंत ही सीख लिया।

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नीरज चोपड़ा का सेना से संबंध (Neeraj Chopra’s Relationship With Military)

2016 में, उन्हें नायब सूबेदार के पद के साथ भारतीय सेना में एक जूनियर कमीशंड अधिकारी नियुक्त किया गया था। सेना में रहते हुए अपने बेहतरीन प्रदर्शन के बदौलत इन्हें सेना में विशिष्ट सेवा मेडल से ही सम्मानित किया जा चुका है। इस समय नीरज चोपड़ा एक भारतीय एथलीट है जो ट्रैक एंड फील्ड के जैवलिन थ्रो नामक गेम से जुड़े हुए हैं एवं राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व करते हैं।

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देवी अहिल्याबाई विश्वविद्यालय, इंदौर के पत्रकारिता विभाग से MA करने के बाद से दैनिक भास्कर, Zee रायपुर, बंसल आदि चैनलों से इंटर्नशिप करने के बाद मैंने स्थाई तौर पर पत्रिका न्यूज पेपर से 2013 में रिपोर्टर के रूप में अपना वास्तविक कैरियर शुरू किया। यहाँ पर 3 साल काम करने के बाद मैंने बेंगलोर में 2017 से 2020 तक 3 साल Greynium Information Technologies Pvt Ltd [Hindi Oneindia (Hindi Goodreturns)] में बतौर Sub-Editor काम किया। 2019 से मै लगातार इस वेबसाईट के लिए लिख रही हूँ।

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